विट्ठल मंदिर का रहस्य
हेलौ दोस्तो आज हम आपके लिये लेकर आये है एक रोचक जानकारी और वो है विट्ठल मंदिर का रहस्य
जी हा विट्ठल मंदिर का रहस्य। जिसके बारे में सुनकर आपको काफी हैरानी होगी। तो चलिए दोस्तो शुरू करते है अपना विडियो और जानते है विट्ठल मंदिर के बारे में कुछ रोचक बाते।
विट्ठल मंदिर एक 16वीं सदी की संरचना है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। भगवान विष्णु को ही भगवान विट्ठल कहा जाता है। विट्ठल मंदिर का निर्माण राजा देवराय द्वितीय के शासनकाल के दौरान किया गया था और यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य द्वारा अपनाई गई शैली का प्रतीक है। हम्पी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी। जो कर्नाटक राज्य में स्थित है। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब हम्पी नाम से जाना जाता है और अब केवल खंडहरों के रूप में ही अवशेष है। इस प्राचीन नगर में एक ऐसा मंदिर है, जिसके 56 पिलर्स से संगीतमय आवाजें निकलती हैं। इन्हें देखने से प्रतीत होता है कि किसी समय में यहाँ एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती होगी। हर साल यहाँ हजारों की संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाजार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष…. आदि असंख्य इमारतें हैं।
हम्पी में विठाला मंदिर परिसर निःसंदेह सबसे शानदार स्मारकों में से एक है। इसके मुख्य हॉल में लगे 56 स्तंभों को थपथपाने पर उनमें से संगीत लहरियाँ निकलती हैं। यहाँ पर कुल मिलाकर 56 स्तंभ हैं, जिनमें से संगीत सरगम सुनाई देती है। इन स्तंभों को संगीत स्तंभ या फिर सारेगामा स्तंभ भी कहा जाता है। माना जाता है कि इन स्तंभों पर हल्की चोट करने से संगीत ध्वनी निकलती है। और सबसे चैकाने वाली बात यह है कि ये स्तंभ भारी पत्थर के बने हैं, और अंदर से खोखले नहीं हैं। इस रहस्य को जानने के लिए अंग्रेजों ने पिलर भी तोड़ा था, लेकिन वे इसे सुलझा नहीं पाए।
हम्पी में ऐसे अनेक आश्चर्य हैं, जैसे यहाँ के राजाओं को अनाज, सोने और रुपयों से तौला जाता था और उसे गरीब लोगों में बाँट दिया जाता था। रानियों के लिए बने स्नानागार मेहराबदार गलियारों, झरोखेदार छज्जों और कमल के आकार के फव्वारों से सुसज्जित होते थे। इसके अलावा कमल महल और जनानखाना भी ऐसे आश्चयों में शामिल हैं। एक सुंदर दो-मंजिला स्थान जिसके मार्ग ज्योतिमय ढँग से बने हैं और धूप और हवा लेने के लिए किसी फूल की पत्तियों की तरह बने हैं। यहाँ हाथी-खाने के प्रवेश-द्वार और गुंबद बने हुए हैं और शहर के शाही प्रवेश-द्वार पर हजारा राम मंदिर बना है। यहां कई मंदिर और प्राचीन स्मारक अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए हैं। यह प्राचीन मंदिर अपनी अद्भतु वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यह मंदिर अपनी कई और खासियतों की वजह से भी लोकप्रिय है।
यह हम्पी की सैर करने आए सभी पर्यटकों के लिए एक देखने याग्य स्थल है क्योंकि इसकी खूबसूरती, जटिल नक्काशियां और शानदार वास्तुकला यहां स्थित किसी भी अन्य संरचना के अनुरूप नहीं है। विट्ठल मंदिर की उत्कृष्ट आकृतियां हैं। मूर्तियों को भीतर के गर्भगृह में रखा गया है और यहां केवल मुख्य पुजारी ही प्रवेश कर सकते हैं। छोटा गर्भगृह आम जनता के लिए खुला है जबकि स्मारकीय सजावट बड़े गृह में देखी जा सकती है। इस मंदिर के परिवेश में मौजूद एक पत्थर का रथ इस मंदिर का एक अन्य प्रमुख आकर्षण है।
हम्पी रथ के बारे में भी कुछ रोचक बातें है।
पत्थर से बना रथ। रथ भी ऐसा कि जिसके हरेक पार्ट को खोलकर कहीं भी ले जाया जा सकता है। इस रथ के ऊपर जो खंबे बने हैं, उन्हें बजाने पर उसमें से भी संगीत निकलता है।
हम्पी रथ मंदिर का इतिहास 16 वी शताब्दी से सामने आया था। हम्पी तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है और इस पत्थर के अनौखे रथ का निर्माण विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव ने करवाया था। जब राजा कृष्ण देव ओडिशा में युद्ध करने गए थे तो कोणार्क के सूर्य मंदिर में स्थित रथ को देखकर उन्होंने अपने साम्राज्य में भी उसी प्रकार का पत्थरों से निर्मित रथ का निर्माण करने का दृढ संकल्प ले लिया। फिर उन्होंने हम्पी में इस पत्थर के रथ का निर्माण करवाया। भारत के प्रसिद्ध स्थलों में से यह मंदिर भी यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर के रूप में जाना जाता है। भारत सरकार ने हम्पी रथ मंदिर को 50 रूपए के नोट पर भी अंकित किया है।
कैसे पहुँचें
विठाला मंदिर में आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च हैं। हवाई जहाज, रेल व सड़क मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है। नजदीकी हवाई अड्डा और नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं। यह मन्दिर दर्शनार्थियों के लिए सुबह 8:30 बजे से शाम 5:30 तक खुला रहता है।