हर इंसान को अपनी मंज़िल की तलाश है, मंज़िल की जूस्तुजू के चलते ही वह अपना जीवन सफर में झोंक देता है। लेकिन कोई मंज़िल आखिरी नहीं, मंजिलें जहां ख़त्म होंगी, वहां जीवन थम सा जाता है। और जीवन रुकने का नाम नहीं है, चलने का नाम है। आइये इस पोस्ट के माध्यम से जानते है कि मंजिल पाने के लिए मेहनत क्यों जरूरी है। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आये तो आप इसे जरूर शेयर किजिएगा।
- सिर्फ मरी हुई मछली को
पानी का बहाव चलाता है,
जिस मछली में जान होती है
वह अपना रास्ता खुद बनाती है। - कमजोर तब रूकते है
जब वह थक जाते है…
और विजेता तब रूकते है
जब वह जीत जाते है..! - जो अपने कदमों की
काबिलियत पर विश्वास रखते है
वहीं अक्सर मंज़िल पर पहुंचते है। - रास्ते कहां खत्म होते है
ज़िंदगी के सफर में
मंज़िल तो वहां है
जहां ख्वाहिशें थम जाएं। - मंज़िलों से गुमराह भी कर देते है कुछ लोग
हर किसी से रास्ता पूछना
अच्छा नहीं होता। - मंज़िल मिले ना मिले ये तो मुक्ददर की बात है…
पर हम कोशिश भी ना करें ये तो गलत बात है। - अगर पाना है मंज़िल तो
अपना रहनुमा खुद बनो..!
वो अक्सर भटक जाते है
जिन्हें सहारा मिल जाता है..। - किसी की सलाह से रास्ते जरूर मिलते है
पर मंज़िल तो खुद की मेहनत से ही मिलती है - जिंदगी में ज्यादातर लोग ज्ञान और प्रतिभा
की कमी की वजह से नहीं हारते,
बल्कि इसलिए हार जाते है
क्योंकि वे जीत से पहले ही मैदान छोड़ देते है - सोचने से कहां मिलते है
तमन्नओं के शहर
चलना भी जरूरी है
मंज़िल पाने के लिए..! - मंज़िल एक ही होती है
बस पाने के तरीके बदल जाते है। - इसलिए…. अगर चाहते हो मंजिल को पाना
तो मेहनत को ही पड़ेगा अपनाना।
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