सच्चा प्रेम क्या होता है?
सच्चे प्रेम की परिभाषा क्या है?
सच्चे प्रेम की क्या निशानिया है?
सच्चे प्रेम की एक क्या पहचान है?
आपके मन ऐसे बहुत से सवाल होंगे, प्यार वो भावना है जो किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, जीवों और अपने ईश्वर के लिए निःस्वार्थ पैदा होती है। इसीलिए हम कह सकते हैं कि प्यार एक भावना है। आइये इस पोस्ट के माध्यम से जानते है कि सच्चा प्रेम क्या होता है और प्रेम की परिभाषा क्या है? अगर आपको ये पोस्ट पसंद आये तो आप इसे उसके साथ जरूर शेयर किजिएगा जिसे आप सच्चा प्रेम करते है।
प्रेम…
जब भी प्रेम की बात आती है
हम सबसे पहले मन में
एक नायक और नायिका का चित्रण कर लेते है
क्यों… आपके साथ भी यही होता है ना
पर… क्या प्रेम केवल नायक नायिका के आर्कषण का बंधन है
नहीं…
प्रेम तो परिवार से हो सकता है
माता-पिता, भाई-बहन से हो सकता है
सखा-मित्रों से हो सकता है
देश और जन्म भूमि के लिए हो सकता है
मानवता के लिए हो सकता है
किसी कला के लिए हो सकता है
इस प्रकृति के लिए हो सकता है
पर प्रेम कभी उस पन्ने पर लिखा ही नहीं जा सकता
जिस पर पहले ही बहुत कुछ लिखा हो
जैसे एक भरी मटकी में और पानी आ ही नहीं सकता
यदि प्रेम को पाना है तो मन को खाली करना होगा
अपनी इच्छायें, अपना सुख सब त्याग कर समपर्ण करना होगा
अपने मन से व्यापार हटा दो तभी प्यार मिलेगा..
पैसे की जरूरत सिर्फ जीने के लिए होती है
पर प्रेम की जरूरत पूरी जिंदगी भर के लिए..!
प्रेम तो प्रकृति है
ये कोई व्यवहार थोड़ी हैं कि तुम करो तो ही मैं करू
किसी को प्रेम देना सबसे बड़ उपहार है,
और किसी का प्रेम पाना सबसे बड़ा सम्मान है..!
प्रेम एक ऐसा अनुभव है
जो मनुष्य को कभी हारने नहीं देता…
प्रेम वह हथियार है
जिसका वार कभी खाली नहीं जाता हैं..!
जहाँ प्रेम है वहाँ जीवन है..!
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